भारत के लिए क्रिकेट खेलने से पहले आपको घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करना होता है। और फिर आपको अंतरराष्ट्रीय में जगह मिलती है। यह बात तो हर कोई जानता है। भारत के कई साल के क्रिकेट इतिहास में जो भी खिलाड़ी बाकियों से अच्छा खेलकर दिखाता है उसका चयन राष्ट्रीय टीम में हो जाता है। जितने भी बड़े खिलाड़ी हैं उन सभी ने रणजी ट्रॉफी या फर्स्ट क्लास क्लास मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया है। तभी वह भारत के लिए खेलें। पर हर खिलाड़ी के साथ ऐसा नहीं होता। कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जिन्होंने अपने पूरे करियर में घरेलू मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया हो, फिर भी कभी भारतीय टीम में अपनी जगह नहीं बना पाए। आज हम बात करेंगे उन्हीं पांच खिलाड़ियों के बारे में-
1. येरे गॉड
इस लिस्ट में अगला नाम आता है रेलवेज के लिए खेलने खेलने वाले येरे गॉड का। येरे गॉड ने 1994 में कर्नाटक के लिए पदार्पण किया था और फिर वो रेलवेज के लिए खेलने लगे। इन्हें घरेलू क्रिकेट का राहुल द्रविड़ भी कहा जाता है। इन्होंने अपने 17 साल के करियर में 16 शतकों के साथ 45.53 की औसत से 7650 रन बनाए। 2001 को 2009 में रांची जीतने के बाद यह वापस कर्नाटक के लिए खेलने लगे। यह उन बल्लेबाजों में से हैं जो यह दर्शाते हैं कि भारत के लिए खेलने के लिए सिर्फ टैलेंट कि नहीं भाग्य की जरूरत भी होती है। इनमें भी बहुत टैलेंट था पर यह कभी भाड़ सिलेक्टर्स नजर ना आ पाए।
2. राजेंद्र गोयल
दूसरा नाम इस लिस्ट में आता है भारत के एक बेहतरीन लेफ्ट हैंड स्पिनर राजेंद्र गोयल का। आप में से कई लोगों ने इनका नाम जरूर सुना होगा। बल्लेबाजों को अपने इशारे पर नचाने में माहिर दे राजेंद्र। सुनील गावस्कर और कई बड़े खिलाड़ी इनकी तारीफ कर चुके हैं। यह रणजी ट्रॉफी इतिहास में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज है। 123 टेस्ट रांची मैचों में 637 विकेट लिए हैं। पूरे घरेलू क्रिकेट की बात की जाए तो राजेंद्र गोयल ने 2.10 की इकाॅनमी से 750 विकेट लिए हैं। पंजाब हरियाणा दिल्ली के लिए खेलने वाले राजेंद्र गोयल कई अच्छे स्पिनरों का भारत टीम होने की वजह से अपनी टीम में जगह नहीं बना पाए।
3.अमोल मजमुदार
पहला नाम इस लिस्ट में आता में आता है मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी खेलने वाले दाएं हाथ के बल्लेबाज अमोल मजूमदार का। अमोल का नाम अपने प्रदर्शन मैच में रणजी ट्रॉफी की सबसे बड़ी पारी खेलने का रिकॉर्ड दर्ज है। इन्होंने अपने पदार्पण मैच में रणजी ट्रॉफी में 280 रन की पारी खेली थी। सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली के साथ स्कूल पढ़ने वाले पढ़ने वाले अमोल सबसे बेहतरीन घरेलू बल्लेबाजों में से एक माने जाते हैं। इन्होंने घरेलू मैचों में 48.13 की औसत से 11166 रन बनाए हैं जिसमें 60 अर्धशतक और 30 शतक शामिल हैं । बड़े-बड़े खिलाड़ियों की टीम में होने की वजह से यह कभी भारतीय टीम में अपनी जगह नहीं बना पाए। आज आपको अलग-अलग टीमों की कोचिंग करते हुए नजर आएंगे।
4. अमरजीत के पी
अगला खिलाड़ी जिनका नाम आता है वह अमरजीत के पी का घरेलू क्रिकेट का यह एक और अच्छा बल्लेबाज जो भारतीय टीम में अपनी जगह नहीं बना पाया। इन्हें लोग पढ़े मैच का बड़ा खिलाड़ी भी कहते थे। अपनी अच्छी तकनीक और धारिता के कारण कई बड़ी पारियां खेली हैं कि पीने। इन्होंने रणजी ट्रॉफी में 7623 रन बनाए जिसमें 27 शतक शामिल है। केपी रणजी ट्रॉफी इतिहास के क्लॉथ एक लानी है जिन्होंने एक मैच की दोनों पारियों में डेढ़ सौ से ज्यादा रन का स्कोर बनाया है। यह भी उन्हें खिलाड़ी जैसे सचिन तेंदुलकर मोहम्मद धीमी होने का उपाय अजहरुद्दीन के टीम में होने के कारण भारतीय टीम में अपनी जगह नहीं बना पाए।
5. पद्माकर सिविलकर
पांचवां और आखिरी नाम इस लिस्ट में आता है एक और बेहतरीन गेंदबाज पद्माकर सिविलकर का। 1964 में मुंबई के लिए पदार्पण करने वाले पद्माकर ने 24 साल मुंबई के लिए घरेलू क्रिकेट खेला। और मुंबई के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। इन्होंने मुंबई के लिए 559 विकेट लिए। इन्होंने अपने पूरे करियर में मात्र 19.69 की औसत से रन दिए हैं। क्रिकेट में 20 से कम को औसत किसी भी गेंदबाज के लिए बेहतरीन माना जाता है। विराम । एक ही जगह पर लगातार गिरने के कारण प्रसिद्ध थे पद्माकर। इनका भी भाग्य ने साथ नहीं दिया और कभी भारतीय टीम में अपनी जगह नहीं बना पाए।
🙏🏻 धन्यवाद 🙏🏻
Image source- Quora
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