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Thursday, 5 August 2021

कौन से हैं वे पांच भारतीय खिलाड़ी जो सिर्फ एक मैच की वजह से याद रखे जाएंगे ?

 

India

भारतीय क्रिकेट को हमेशा से कई बेहतरीन खिलाड़ी मिले हैं। किसी भी खिलाड़ी के रिटायर होने के बाद भी भारत ए टीम को उस खिलाड़ी की कमी महसूस नहीं हुई। भारतीय टीम का प्रदर्शन हमेशा से ऊपर ही जाता रहा है और आने वाले समय में ऊपर ही जाता रहेगा। सुनील गावस्कर सचिन तेंदुलकर महेंद्र सिंह धोनी विराट कोहली जितने नाम लिए जाए उतनी कम है। इन सभी ने भारत के लिए कई मैच खेले और भारत का प्रदर्शन से कहीं मैच जीता है। भारतीय क्रिकेट इन सभी के योगदान को कभी नहीं भुला सकता। पर इन खिलाड़ियों के विपरीत कुछ खिलाड़ी ऐसे भी थे जिन्हें अपने सिर्फ एक मैच के प्रदर्शन के लिए याद रखा जाएगा और यह खिलाड़ी अपने बाकी करियर में कुछ खास नहीं कर पाए। आज हम उन्हीं पांच खिलाड़ियों की बात करेंगे-

Team India

               जोगिंदर शर्मा


सबसे पहले बात करते हैं भारत के पूर्व तेज गेंदबाज जोगिंदर शर्मा की। आप में से शायद सभी ने इन्हें बखूबी जानते होंगे। यह वही खिलाड़ी हैं जिन्हें एम एस धोनी ने 2007 विश्व कप फाइनल में आखरी ओवर में गेंद डालने के लिए कहा था और उन्होंने बखूबी लक्ष्य का बचाव भी किया था। हम सभी उन्हें बस उस मैच के लिए ही जानते हैं। आप में से बहुत लोग सोच रहे होंगे कि एक गायब कहां हो गए। तो आपको जानकर हैरानी होगी कि जोगिंदर शर्मा इस समय हरियाणा में ही डीएसपी के पद पर हैं और भारत की सेवा कर रहे हैं । उस मैच के बाद से ही जोगिंदर भारत की तरफ से कोई और मैच ना खेल सके। वे अंतरराष्ट्रीय पेट में भारत के लिए मात्र 5 विकेट ही ले पाए।


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                अजय रात्रा


यह बात है सन 2000 की भारत को नयन मोंगिया के संन्यास के बाद किसी अच्छे विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश थी। 2001-2002 के बीच में ही भारत ने छह अलग-अलग विकेटकीपर हम को खिला कर देखा। पर कोई भी अच्छा प्रदर्शन करके टीम में जगह बनाने में नाकाम रहा। तभी भारत ने मौका दिया युवा विकेटकीपर अजय रात्रा को। 2002 में इन्होंने इंग्लैंड में इंग्लैंड के खिलाफ डेब्यू किया इसके बाद उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ एंटीगा टेस्ट में भारत के लिए शानदार शतक लगाया। अजय रात्रा भारत की सबसे कम उम्र में शतक लगाने वाले विकेटकीपर बन गए। भारत को जिस विकेटकीपर की तलाश थी वह से मिल चुका था। पर बदकिस्मती से ऐसा नहीं हुआ। अजय उस मैच के बाद भारत के लिए निरंतरता से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए और इन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया। इसके बाद भी विकेटकीपर की तलाश जारी रही और भारत को मिला एक ऐसा कोहिनूर हीरा जिसे हम सभी महेंद्र सिंह धोनी के नाम से जानते हैं। उसके बाद जो हुआ उसे तो आप बखूबी जानते हैं।

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                दिनेश मोंगिया


नयन मोंगिया के बारे में तो आपने जान लिया। अब बात करते हैं इनके भाई के बारे में दिनेश मोंगिया। दिनेश मोंगिया ने भारत के लिए पदार्पण किया था 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ। लेकिन जिस मैच के लिए नहीं याद रखा जाएगा अवस्था जिंबाब्वे के खिलाफ। उस मैच में दिनेश मोंगिया ने 159 रन की बेहतरीन पारी खेली थी। इसी से इन्होंने भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की कर ली थी और इन्हें 2003 विश्वकप टीम में वीवीएस लक्ष्मण की जगह चुन लिया गया था। पर यह अपने प्रदर्शन को जारी नहीं रख सके। जिंबाब्वे के खिलाफ उस मैच के बाद इन्होंने भारत के लिए 42 मैच खेले पर सिर्फ 703 रन ही बना सके।

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                स्टुअर्ट बिन्नी


अगला नाम इस लिस्ट में आता है 1983 विश्व कप टीम के सदस्य रोजर बिन्नी के सुपुत्र स्टूअर्ट बिन्नी का। इनका नाम सुर्खियों में आया 2014 में। स्टुअर्ट बिन्नी ने बांग्लादेश के खिलाफ वनडे मैच में गेंदबाजी करते हुए 4 रन देकर छह के झटके। वह मैच इसलिए भी खास था क्योंकि भारत सिर्फ 105 रनों का लक्ष्य का बचाव कर रहा था। स्टुअर्ट बिन्नी की दमदार प्रदर्शन ने भारत को हारा-हारा मैच भी जीता दिया। पर उस प्रदर्शन के बाद स्टुअर्ट बिन्नी ऐसा कुछ खास नहीं कर सके जो इनकी भारतीय टीम में जगह बनाता हो। यह भारत के लिए 14 वनडे में मात्र 230 रन बना सके और सिर्फ 20 विकेट ले सके।

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                 नरेंद्र हिरवानी


आखरी नाम इस लिस्ट में आता है भारतीय स्पिनर नरेंद्र हिरवानी का। यह भारत के कुछ बेहतरीन स्पिनरों में शामिल है। इन्होंने अपना पहला मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला। इन्होंने ऐसा प्रदर्शन किया जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी। नरेंद्र ने उस मैच में वेस्टइंडीज की दोनों पारियों में मिलाकर 16 विकेट झटके। एक टेस्ट में 16 विकेट किसी भी भारतीय गेंदबाज का एक टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट है। पर बदकिस्मती से यह भी बाकी खिलाड़ियों की तरह अपनी काबिलियत को बाकी टेस्ट मैचों में नहीं दिखा पाए। उस मैच के बाद नरेंद्र हिरवानी ने 16 टेस्ट मैच खेले और मात्र 50 विकेट झटक पाए। उसके बाद इन्हें कभी भारतीय टीम में मौका नहीं मिला।

                      🙏🏻  धन्यवाद 🙏🏻


Thursday, 24 June 2021

न्यूजीलैंड बना पहला विश्व टेस्ट चैंपियन! 

 

Wtc Final

बात साल 2019 की है वनडे विश्व कप का फाइनल था और न्यूजीलैंड कप्तान केन विलियमसन थे। इंग्लैंड के ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान मुकाबला टाई हुआ। फिर पहला सुपर ओवर टाइम हुआ। दूसरा सुपर ओवर की बराबरी पर छूटा। इसके बाद अधिक बाउंड्री झड़ने के कारण मेजबान इंग्लैंड को विश्व कप का विजेता घोषित कर दिया गया। इस नतीजे के बाद लगभग सभी ने माना कि दोनों टीमें ट्रॉफी की हकदार थी और कहीं ना कहीं न्यूजीलैंड के साथ नाइंसाफी हुई। शायद आईसीसी को भी अपनी गलती का एहसास हुआ और यही वजह से उसने या पहले ही स्पष्ट कर दिया कि पहली आइसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल ड्रॉ एयरटेल रहने पर दोनों टीमें संयुक्त विजेता बनेगी। यह वही विलियमसन थे जो 2019 में विश्वकप ट्रॉफी जमाने की दिल में किसी कोने में दबाए बैठे थे और अब जब उन्हें साउथहैंपटन में डीसी की गदा को चुनने का मौका मिला तो उन्होंने बारिश की बाधाओं से पार पाते हुए भारतीय टीम को हार एक विभाग में पीछे छोड़ते हुए इस मौके को हाथों से जाने नहीं दिया। फाइनल के रिजल्ट डे यानी सुरक्षित किए गए छठे दिन अपनी टीम की अगुवाई करते हुए न्यूजीलैंड को पहला विश्व चैंपियन बना दिया।

India


विलियमसन और टेलर ले गए न्यूजीलैंड को लक्ष्य के पार -

न्यूजीलैंड को जब बुधवार को फाइनल जीतने के लिए 53 ओवर में 139 रन का लक्ष्य मिला तो उसे पता था कि जरा सी भी लापरवाही उसे खिताबी गदा साझा करने पर मजबूर कर सकती है। राम लोटन पांडे कौन-कौन वे की सलामी जोड़ी ने उन्हें 33 रन की सधी शुरुआत दिलाई। इस साझेदारी को अनुभवी ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने लाखन को ऋषभ पंत के हाथों कैच कराकर तोड़ा। अश्विन ने कुछ देर बाद कौन बे को भी पगबाधा कर भारत को दूसरी सफलता दिलाई। इस समय न्यूजीलैंड का स्कोर 2 विकेट पर 44 रन हो गया था और उसे जीत के लिए करीब 35 ओवर में 95 रन चाहिए थे। जिस तरह से अश्विन की बाजी कर रहे थे उसे लग रहा था कि शायद भारत को चमत्कार कर जाएगा लेकिन कप्तान विलियमसन ने विराट के मंसूबों पर पानी फेरते हुए रोलर के साथ मिलकर अपनी टीम को जीत दिलाई। विलियमसन ने 8 गेंदों पर आठ चौकों के साथ नाबाद 52 रन बनाए जबकि टेलर ने 100 गेंदों पर छह चौकों के साथ नाबाद 47 रन बनाए। दोनों ने तीसरे विकेट के लिए 96 रन की साझेदारी की और न्यूजीलैंड को 45.5 ओवर में 140 रन बनाकर जीत हासिल की।

World Test Championship

क्या अंतिम एकादश चुनने में हो गई गलती ?

न्यूजीलैंड की दूसरी पारी के दौरान एक छोर से लगातार कसी हुई गेंदबाजी कर रहे थे और 2 विकेट भी ले चुके थे। इसके बावजूद कप्तान विराट कोहली ने बाएं हाथ के स्पिनर रविंद्र जडेजा को काफी देर तक दूसरे छोर से गेंदबाजी नहीं कराई। जडेजा दूसरी पारी में 28 ओवर में पहली बार गेंदबाजी करने आए। ऐसे में बारिश के कारण नमी से भरपूर रही इस पिच पर कोहली के दो स्पिनर चुनने के फैसले पर भी सवाल उठते हैं। 29 वें ओवर में ऋषभ पंत की जगह रिद्धिमान साहा विकेट कीपिंग करने उतरे।

Team India

भारत से हुई फील्डिंग में चूक !


विलियमसन और टेलर जब मैच को पूरी तरह से भारत के हाथों से दूर ले जा रहे थे तो भारत के पास कितने स्वयंवर में डीलर का विकेट लेने का मौका था लेकिन वह इसे भुना नहीं सका। बुमराह के इस ओवर की चौथी गेंद पर टेलर बल्ला बल्ला बैठे और गेंद सीधे पहली स्लिप पर खड़े पुजारा के हाथों में पहुंची लेकिन वह कैच नहीं लपक सके और टेलर को जीवनदान मिल गया। उस समय टेलर ने 26 रन बनाए थे और न्यूजीलैंड तब जीत से 55 रन दूर था। इसके बाद 44 ओवर में विलियमसन को जीवनदान मिला। शमी के स्वर की पांचवी गेंद उन्होंने ऊंचा उठा दिया पर बुमराह ने पॉइंट पर उनका कैच गिरा दिया। इस ओवर की अगली गेंद पर विलियमसन ने स्क्वायर लेग पर चौका जड़कर अपना अर्धशतक पूरा किया। 

Final


न्यूजीलैंड के गेंदबाजों का कमाल का प्रदर्शन !

इससे पहले भारत की दूसरी पारी सुबह 2 विकेट पर 64 रन से आगे खेलने उतरी और 170 रनों पर सिमट गई। न्यूजीलैंड की ओर से टिम साउदी ने 48 रन देकर चार विकेट झटके तो ट्रेंट बोल्ट ने 39 रन देकर तीन विकेट लिए। काइल जैमसन ने दिन के छठे ओवर में कोहली को और फिर अपने अगले ओवर में चेतेश्वर पुजारा को चलता कर भारत को दोहरे झटके दिए। भोजन काल से पहले बोल्ट ने अजिंक्य रहाणे को भी चलता कर दिया। ऋषभ पंत ने कुछ उम्मीद जगाई लेकिन उनके आउट होते ही भारतीय पारी को खत्म होने में देर नहीं लगी और आखिरकार लक्ष्य का पीछा करके न्यूजीलैंड ने भारत को पहले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में मात दे दी।

Virat Kohli

भारत की हार के पांच मुख्य कारण -

1. पहला दिन बारिश से धुलने के बावजूद मौका मिलने पर अंतिम एकादश में बदलाव नहीं करना।

2 बुमराह का दोनों पारियों में विकेट नहीं ले पाना।

3. न्यूजीलैंड के गेंदबाजों की तुलना में भारतीय गेंदबाजों को स्विंग नहीं मिलना।

4. पुजारा और गिल सहित बल्लेबाजों के खराब प्रदर्शन। 

5. दूसरी पारी में अहम मौकों पर पुजारा द्वारा टेलर का कैच छोड़ना।


                           🙏🏻 धन्यवाद 🙏🏻

Image source- Instagram